Monday, April 29, 2013

चीन का भारत भूमि पर अतिक्रमण और सोते हुए गांधीवादी

गांधीवादी कहाँ गए ?

१ अभी तक किसी ने चीन के खिलाफ  असहयोग आन्दोलन नहीं किया ?

२. अभी तक चीन के खिलाफ किसी ने आमरण अनशन नहीं किया ?

३ . अभी तक किसी ने कैंडल मार्च भी निकाला ?

४. अभी तक किसी ने चीन के खिलाफ नीली जीन्स और कला कुर्ता पहनकर नुक्कड़ नाटक भी नहीं किया ?

५ अभी तक कोई महेश भट्ट , काटजू , तीस्ता , जावेद अख्तर ,शबाना आजमी ,शाहरुख़ ,अग्निवेश ,अरुणदत्ती, केजरीवाल ,बरखा दत्त , यहाँ तक बॉलीवुड से किसी भी गिद्ध या चिड़िया का कोई ट्विट तक नहीं आया 

६ . भारत के खिलाफ कार्टून बनाने वाले असीम त्रिवेदी का चीन के खिलाफ कार्टून आन्दोलन भी नहीं हुआ ...

७. हर अपराध और घटना  में आरएसएस , हिन्दू धर्म और वैदिक ग्रंथो को दोष देने वाले किसी बुद्धिजीवी ने अभी तक ये नहीं बताया कि किस श्लोक में लिखा है कि "चाइना वालों का भारत भूमि पर कब्ज़ा करने का अधिकार है "

वैसे इतने दिन हो गए सीमा पर न तो किसी ने भूख हड़ताल की , न कैंडल मार्च हुआ और नहीं कोई नुक्कड़ नाटक ...गांधीगिरी  कब काम आयेगी ?

Monday, April 22, 2013

सामाजिक आन्दोलन और गैर जिम्मेदार राजनीतिक दल , मीडिया NGO


सामाजिक आन्दोलनों का सब फायदा लेने में लगे है ....

मीडिया वाले अपनी TRP बढ़ाने में लगे है, ..

आम आदमी पार्टी वाले अपने कार्यकर्ता और समर्थक बढाने में लगी है, 

बीजेपी अपना खोया जनाधार पाने की जुगत में लगी है ...

NGO वाले इसी बहाने महिला सुरक्षा के नाम पर फण्ड के तरीके तलाश रही है ..

और कांग्रेस वाले खुश है कि चलो इसी बहाने  जनता उनके भ्रस्टाचार और कुकर्म भूल जाएगी 

Sunday, April 21, 2013

सुरक्षा व्यवस्था जनता के लिए अथवा नेताओं के लिए ??


जितनी सुरक्षा राजमाता और उसके चमचों की हो रही है उतनी सुरक्षा यदि सीमा में कर दी जाती तो चीनी सेना दस किलोमीटर तक अन्दर नहीं आ पाती।

और जितनी सतर्क पुलिस दस जनपथ में की गयी  यदि उतनी ही  सतर्क पुलिस दिल्ली में सभी जगह हो जाये तो इतने बलात्कार और अपराध  न हो  


साईं बाबा के रूप में हिन्दू धर्म का अतिक्रमण

ये साईं भक्त लोग हिन्दू देवताओं के त्योहारों पर ही क्यों साईं बाबा सवारी निकालते है ? 

क्या इनके साईं बाबा ॐ और राम के बिना चमत्कार नहीं कर पाते ?

कल राम नवमी थी और ये सब उसका सहारा लेकर ॐ साईं राम नाम की झांकी निकाल रहे थे .


ये लोग कृष्णा जन्माष्टमी , रामनवमी पर "ॐ साईं राम" महोत्सव मनाकर हिन्दुओं को उनके भगवानों और धर्म से दूर कर रहे है और मूर्ख हिन्दू हमेशा की तरह शुतुरमुर्ग की तरह अपना स़िर जमीन में गाड़े है ....

जिसे साईं बाबा की पूजा करनी है वो करे लेकिन हमारे धर्म के देवताओं के जन्म दिन पर उनके नाम का सहारा लेकर "साईं बाबा " की झांकी क्यों निकाली जाती है ? " साईं बाबा " को साईं बाबा के नाम पर पूजे , हमारे धर्म से ॐ और राम क्यों जोड़ दिया गया उनके नाम के आगे पीछे ?? साईं बाबा के जन्मदिन पर उनका जन्मदिन मनाये, उससे हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमारे त्योहारों और हमारे देवताओं के जन्मदिन पर उनके स्थान पर ये लोग साईं बाबा को रखकर उत्सव क्यों मनाते है और नाम देते है हमारे त्योहारों का जिससे आम जनता भ्रमित रहती है

कुछ वर्षों तक ऐसे ही चलता रहा तो लोग राम और कृष्ण को भूलकर रामनवमी और जन्माष्टमी को साईं बाबा की ही पूजा करेंगे ...

सामाजिक आन्दोलन और आम आदमी पार्टी की महत्वाकांक्षा

जब सामाजिक समस्या को लेकर उठे आन्दोलन राजनीतिक पार्टियों के नाम से होने लगते है तो वो कभी सफल नहीं होते है ...

आम आदमी पार्टी वाले आज कल यही कर रहे है..

जनलोकपाल बिल के आन्दोलन को ख़त्म करके पैदा हुई ये आधुनिक कम्युनिस्ट पार्टी 

देश में सरकार की अव्यवस्था और भ्रस्ताचार खिलाफ 
शुरू होने वाले प्रत्येक आन्दोलन को 
राजनीतिक रूप देकर ख़त्म करने में लगी रहती है ...

ये और इनके कार्यकर्ता हमेशा अपने राजनीतिक फायदे की सोचते हुए यही सिद्ध करने में लगे रहते है कि आन्दोलन करने वाले सिर्फ वही और किसी पार्टी वाले नहीं कर रहे है ..

इस प्रकार वो इन आंदोलनों का जनांदोलन बनाने से रोक देते है ..साथ ही आन्दोलन भी ख़त्म हो जाता है ..क्योकि आम जनता पार्टियों के नाम से चलने वालों अन्दोलनो में जाने से बचती है ....

संत और समाज :संत समाज से एक निवेदन

संत समाज से निवेदन : 

 जब समाज कि बीमारियाँ समाज खुद ठीक न कर पाए , सरकार से कोई मतलब नहीं हो वो तो जनता का धन इटली भेजने में लगी हो या मुस्लिम तुस्टीकरण में लगी हो , परिवार अपने बच्चों के क्रिया कलापों पर ध्यान न दे प् रहे हों , मूवी , टीवी और इन्टरनेट मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता परोसने में लगे हो ....तो कौन आगे है ?? 

समाज को कौन सुधारे ?? समाज इतना गिर जायेगा तो धर्म की हानि तो निश्चित ही है ...और धर्म की हानि का मतलब देश का नाश .. ऐसे विकट समय में सिर्फ संत समाज से ही उम्मीद की जा सकती है वो समाज में सुधर लायें आज देश का समाज पतन की ओर है .

.पाश्चात्य सभ्यता का अन्धानुकरण करके युवा वर्ग ना केवल स्वयं को हानि पहुंचा रहा है बल्कि समाज में ऐसे विकृत दिमाग वाले लोग कैंसर की तरह फैलते जा रहे है .

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इस कठिन समस्या का निवारण सिर्फ संत समाज ही कर सकता है . जैसे मुस्लिम काल में संतो ने हिंदुयों को "भक्ति आन्दोलन " चलाकर बचाया था वैसे ही आज भी समाज को सुधारने के लिए संतो को आगे आना होगा . सभी शंकराचार्य , महामंडलेश्वर , महंत , स्वामी , योग गुरु आगे आयें और पतन की ओर अग्रसर इस समाज ,परिवार के मूल्यों की रक्षा करें . ये देश, धर्म और समाज आपका सदा ऋणी रहेगा . 

 -चन्द्र भाल सिंह

Friday, April 19, 2013

बढ़ते बलात्कार , सोती सरकार और संवेदनहीन समाज


न तो कैंडल मार्च और न आंदोलनों का कोई असर हुआ ..... न ही बहुत कड़े कानून बनाने से उनके दिमाग में असर गया ... क्योंकि उनके दिमाग में तो कुछ और ही भरा है ...जो आज समाज में सब जगह फिल्मों से लेकर इन्टरनेट और यहाँ तक आधुनिक मीडिया और समाचार पत्र परोसने में लगे है .. इन्टरनेट और फिल्मों की बात छोडिये आज इसमें सबसे बड़ा योगदान इन्टरनेट न्यूज़ मीडिया का भी है ...प्रश्न ये है कि लोग दिमाग के अन्दर बैठे उस वहसी जानवर को खाना -पानी देने वाले कारणों को रोकने की बात क्यों नहीं कर रहे है ... कारण को रोकने से ही ये अपराध रुकेंगे ... घर , समाज को पूरी तरह अब आगे आना होगा ...उसके साथ ही उस दिमाग के अन्दर बैठे वहशी जानवर को खाना -पानी देने वाले इन्टरनेट , फिल्मो , मीडिया में मौजूद उन सभी वाहको पर रोक लगानी होगी जो कि वास्तव में मनुष्य के दिमाग को अपाहिज कर देते है ...और उसका शिकार कोई और बन जाता है . सिर्फ आधुनिकता का रट्टा लगाकर और ये कहकर कि अरे वो तो छोटे कपडे नहीं पहने थी , वो तो रात में नहीं जा रही थी, वो तो बार,पार्टी में नहीं थी ...आदि कहकर पाश्चात्य गन्दगी का समर्थन करने से भी नहीं रुकने वाले है ....पहले ये भी देखना होगा क्या हमारा समाज उस पाश्चात्य आधुनिकता को स्वीकार करने लायक है भी की नहीं ...वास्तविकता ये है कि अभी बिलकुल नहीं है ..हमे अपनी सामाजिक व्यवस्था देश , धर्म ,समय और लोगों की मानसिक अवस्था को देखकर तय करनी होगी ...जिस देश के लोग अभी भी अशिक्षा , गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे हो, जिन्हें अनुशासन और नियम में रहने की आदत ही न ही ... उनके लिए पाश्चात्य सभ्यता सिर्फ एक अभिशाप ही है ..और ये सब उसी का परिणाम है . लोग अभी भी नैतिक रूप से अशिक्षित है ...और पाश्चात्य सभ्यता स्वीकार करने योग्य नहीं है अक्सर जो कारण होते है उनसे अपाहिज और अँधा दिमाग शिकार किसी और को बनाता है ....क्योकि तब उसके दिमाग में वही होता है जो वो इन्टनेट , फिल्मों में देखता है और टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,आज तक , इंडिया टुडे , नवभारत टाइम्स न्यूज़ पोर्टल में प्रत्येक दिन देने वाली सलाहों को सीखता रहता है , हमे इसे रोकना है तो उसके कारणों पर जाना होगा उन्हें ख़त्म करना होगा ....